सुशांत की डायरी के वो खास पन्ने, जिसमें लिखे कबीर के दोहे, मोमिन का शेर
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के डिप्रेशन को लेकर कई तरह की बाते सामने आई हैं. कभी बताया गया कि वे बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे तो कभी कहां गया कि वे आर्थिक दिक्कतों से परेशान थे. लेकिन सुशांत के व्यक्तित्व का एक ऐसा भी पहलू था जहां वे खुद को हमेशा मोटिवेट करने की कोशिश करते थे. वे हमेशा खुद को पॉजिटिव रखने पर जोर देते थे. आजतक के हाथ लगे सुशांत के नोट्स को देख समझ आता है कि एक्टर खुद को हर स्थिति में मजबूत कैसे रखा करते थे.
सुशांत को पसंद कबीर का दोहा
सुशांत को किताबों का काफी शौक था. उन्हें जो भी कुछ अच्छा लगता, वे उसे हमेशा लिख लिया करते थे. नोट्स को देख भी समझ आता है कि सुशांत सिंह राजपूत को संत कबीर के दोहे खासा पसंद थे. वे उनकी सोच से प्रभावित थे. एक्टर ने उन नोट्स में कबीर का एक दोहा लिखा है. दोहा है- जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं.
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